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By admin: Jan. 7, 2023

1. भारत में सभी 37 सीएसआईआर प्रयोगशालाएं अनुसंधान और नवाचार के वैश्विक केंद्र में बदल जाएंगी

Tags: Science and Technology

All 37 CSIR Labs in India to turn into Global Centers of Research & Innovation

केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान और प्रौद्योगिकी डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत में सभी 37 सीएसआईआर प्रयोगशालाओं को विशेषज्ञता के क्षेत्रों में अनुसंधान और नवाचार के वैश्विक केंद्रों में बदल दिया जाएगा।

खबर का अवलोकन 

  • वह नई दिल्ली में "वन वीक वन लैब" अभियान के शुभारंभ पर बोल रहे थे।

  • इस अवसर पर डॉ. जितेंद्र सिंह ने सीएसआईआर के एक सप्ताह एक लैब अभियान का लोगो भी जारी किया।

  • वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) की 37 प्रयोगशालाएँ देश भर में फैली हुई हैं जो विभिन्न विशेष क्षेत्रों के कार्य के लिए समर्पित हैं।

  • 37 सीएसआईआर प्रयोगशालाओं में से प्रत्येक अपने आप में अद्वितीय है और जीनोम से भूविज्ञान, भोजन से ईंधन, खनिज से सामग्री आदि जैसे विविध क्षेत्रों में माहिर है।

  • डॉ जितेंद्र सिंह ने नेट जीरो एमिशन और जीरो वेस्ट की ओर बढ़ने के उद्देश्य से सीएसआईआर-सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएसआईआर-सीबीआरआई), रुड़की द्वारा आयोजित "इनोवेशन एंड सस्टेनेबल कंस्ट्रक्शन मैटेरियल्स एंड टेक्नोलॉजीज" पर कार्यशाला और प्रदर्शनी का उद्घाटन किया।

सीएसआईआर के बारे में

  • सीएसआईआर की स्थापना 26 सितंबर 1942 को हुई थी और इसे सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत सीएसआईआर सोसायटी के रूप में पंजीकृत किया गया था।

  • शासी निकाय की पहली बैठक 09 मार्च 1942 को हुई जिसमें परिषद के लिए उपनियम बनाए गए।

  • यह भारत में सबसे बड़ा सार्वजनिक वित्त पोषित अनुसंधान एवं विकास संगठन है।

  • 1942 में 5 प्रयोगशालाओं के साथ शुरू हुआ, अपनी आठ दशकों की यात्रा में सीएसआईआर 3521 वैज्ञानिकों की 37 प्रयोगशालाओं के साथ 4162 तकनीकी कर्मचारियों द्वारा समर्थित एक संगठन के रूप में विकसित हुआ है।


By admin: Jan. 4, 2023

2. केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दी

Tags: National Government Schemes

Union Government approves the National Green Hydrogen Mission

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 4 जनवरी 2023 को राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन नीति को मंजूरी दी, जिसका उद्देश्य भारत को हरित हाइड्रोजन और इसके डेरिवेटिव के उत्पादन, उपयोग और निर्यात के लिए एक वैश्विक केंद्र बनाना है।

ग्रीन हाइड्रोजन ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों का उपयोग करके पानी के अणु को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में तोड़ने को संदर्भित करता है।

योजना के लिए परिव्यय

मिशन के लिए प्रारंभिक परिव्यय 19,744 करोड़ रुपये होगा, जिसमें ग्रीन हाइड्रोजन ट्रांजिशन प्रोग्राम (एसआईजीएचटी) कार्यक्रम के लिए 17,490 करोड़ रुपये, पायलट परियोजनाओं के लिए 1,466 करोड़ रुपये, अनुसंधान एवं विकास के लिए 400 करोड़ रुपये और अन्य मिशन घटकों के लिए 388 करोड़ रुपये शामिल हैं।

राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन का मुख्य उद्देश्य 

  • राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन का उद्देश्य भारत को 2070 तक शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन के अपने जलवायु परिवर्तन लक्ष्य को पूरा करने में सक्षम बनाना और भारत को हाइड्रोजन ईंधन का उत्पादन और निर्यात केंद्र बनाना है।
  • 2030 तक प्रति वर्ष 5 मिलियन टन हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करने की क्षमता हासिल करना, 
  •  2030 तक 125 गीगा वाट्स अक्षय ऊर्जा की क्षमता में वृद्धि करना,
  • 2030 तक लगभग 50 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी करना ,
  • 2030 तक 1 लाख करोड़ रुपये के जीवाश्म ईंधन के आयात में कमी लाना ,
  • इस क्षेत्र में  2030 तक आठ लाख करोड़  रुपये से अधिक के निवेश को आकर्षित करना , 2030 तक इस क्षेत्र में 6 लाख से अधिक रोजगार सृजित करने का लक्ष्य है ।


By admin: Dec. 15, 2022

3. G-7 उत्सर्जन में कटौती के लिए वियतनाम के साथ $15.5B ऊर्जा समझौते पर सहमत हुआ

Tags: International News

G-7 agrees $15.5B energy deal with Vietnam to cut emissions

सात (जी-7) समृद्ध औद्योगिक राष्ट्रों समूह ने वियतनाम को 15.5 बिलियन डॉलर प्रदान करने के लिए एक समझौते को मंजूरी दी है।

महत्वपूर्ण तथ्य

  • इससे इस दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र को कोयला आधारित बिजली से नवीकरणीय ऊर्जा की ओर तेजी से बढ़ने में मदद मिलेगी, जिससे इसके जलवायु-हानिकारक प्रदूषण में कमी आएगी।

  • नॉर्वे और डेनमार्क के साथ सात प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के समूह ने कहा कि इसका उद्देश्य 2050 तक वियतनाम को अपने उत्सर्जन को "शुद्ध शून्य" तक कम करने में मदद करना है, एक लक्ष्य जो विशेषज्ञों का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस (2.7 डिग्री फारेनहाइट) पर लाने के लिए विश्व स्तर पर पूरा करने की आवश्यकता है। 

  • वियतनाम के साथ जस्ट एनर्जी ट्रांजिशन पार्टनरशिप उन समझौतों की एक श्रृंखला है, जिन पर विकासशील और अमीर देश बातचीत कर रहे हैं।

  • इस तरह का पहला समझौता पिछले साल दक्षिण अफ्रीका के साथ हुआ था और इसी तरह का समझौता पिछले महीने इंडोनेशिया के साथ हुआ था।

  • आने वाले तीन से पांच वर्षों में 15.5 अरब डॉलर का वित्त पोषण सार्वजनिक और निजी स्रोतों से आएगा।

G7 के बारे में

  • G7 या सात का समूह सात सबसे उन्नत अर्थव्यवस्थाओं का एक समूह है।

  • ये सात देश कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, जापान और इटली हैं।

  • इसका गठन 1975 में हुआ था।

  • वैश्विक आर्थिक शासन, अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा और ऊर्जा नीति जैसे सामान्य हित के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए G7 देश सालाना बैठक करते हैं।

  • सभी G7 देश और भारत G20 का हिस्सा हैं।

  • G7 का कोई निश्चित मुख्यालय नहीं है।

  • यूके वर्तमान में G7 की अध्यक्षता करता है और उसने भारत के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया, कोरिया गणराज्य और दक्षिण अफ्रीका को G7 शिखर सम्मेलन के लिए अतिथि देशों के रूप में आमंत्रित किया है।


By admin: Dec. 5, 2022

4. जिंदल शदीद समूह ओमान में 3 अरब डॉलर का हरित इस्पात संयंत्र स्थापित करेगा

Tags: Economy/Finance International News

Jindal Shadeed Group to set up a $3 billion green steel plant in Oman

जिंदल शदीद समूह ने घोषणा की है कि वह ओमान के दक्षिणी बंदरगाह शहर डुक्म में स्तिथ एक विशेष आर्थिक क्षेत्र में हरित इस्पात संयंत्र स्थापित करने के लिए $3 बिलियन से अधिक का निवेश करेगा। हाइड्रोजन-तैयार स्टील परियोजना में सालाना 5 मिलियन टन स्टील का उत्पादन करने की क्षमता होगी।

प्रस्तावित हरित स्टील प्लांट स्टील के उत्पादन के लिए प्राकृतिक गैस का उपयोग किया जायेगा ।

जिंदल शदीद ग्रुप नवीन जिंदल की जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड (जेएसपीएल) कंपनी की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है। जिंदल शदीद ग्रुप की ओमान के सोहर में एक सालाना 2 मिलियन टन स्टील क्षमता वाली स्टील प्लांट पहले से ही है ।

हरित इस्पात संयंत्र क्या है?

हरित इस्पात के निर्माण में कार्बन-गहन जीवाश्म ईंधन का उपयोग नहीं किया जाता है । कोयले से चलने वाले संयंत्रों के पारंपरिक कार्बन-गहन निर्माण मार्ग के बजाय हाइड्रोजन, प्राकृतिक गैस, कोयला गैसीकरण या बिजली जैसे निम्न-कार्बन ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करके स्टील का उत्पादन किया जाता है।

हरित इस्पात की आवश्यकता क्यों?

वैश्विक स्तर पर लौह अयस्क और इस्पात उद्योग वार्षिक आधार पर कुल CO2 उत्सर्जन का लगभग 8 प्रतिशत है, जबकि भारत में, यह कुल CO2 उत्सर्जन में 12 प्रतिशत का योगदान देता है।

भारत ने 2070 तक शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करने के लिए स्वयं को प्रतिबद्ध किया है और यदि भारत को उस लक्ष्य को प्राप्त करना है तो भारतीय इस्पात उद्योग को 2070 तक अपने उत्सर्जन को शुद्ध-शून्य तक कम करने की आवश्यकता है। इसके लिए भारत में कई प्रयास किये जा रहे हैं ।

हाल ही में अनिल अग्रवाल के स्वामित्व वाली वेदांत कंपनी ने हाइड्रोजन का उपयोग करके हरित इस्पात के उत्पादन के लिए प्रौद्योगिकी विकसित करने के लिए आईआईटी-बॉम्बे के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।

जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड (जेएसपीएल) ने अपने ओडिशा संयंत्र को दुनिया की सबसे बड़ी और हरित सुविधा के रूप में विकसित करने की योजना बनाई है। कंपनी स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके स्टील का उत्पादन करने के लिए कोयला गैसीकरण का निर्माण करने वाली दुनिया की पहली इस्पात निर्माता होने का दावा करती है।


By admin: Nov. 29, 2022

5. नीति आयोग ने 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन लक्ष्य हासिल करने के लिए 'कार्बन कैप्चर' पर अध्ययन रिपोर्ट जारी की

Tags: Reports Environment

NITI Aayog releases study report on ‘Carbon Capture"

नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (नीति) आयोग ने 29 नवंबर 2022 को 'कार्बन कैप्चर, यूटिलाइजेशन एंड स्टोरेज पॉलिसी फ्रेमवर्क एंड इट्स डिप्लॉयमेंट मैकेनिज्म इन इंडिया' शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है।

रिपोर्ट 2070 तक भारत के शुद्ध शून्य लक्ष्य को पूरा करने के लिए उत्सर्जन में कमी की रणनीति के रूप में कार्बन कैप्चर, उपयोग और भंडारण के महत्व की पड़ताल करती है। यह रिपोर्ट इसके अनुप्रयोग के लिए विभिन्न क्षेत्रों में आवश्यक व्यापक स्तर के नीतिगत हस्तक्षेपों की रूपरेखा प्रस्तुत करती है।

भारत ने गैर-जीवाश्म-आधारित ऊर्जा स्रोतों से अपनी कुल स्थापित क्षमता का 50% प्राप्त करने, 2030 तक उत्सर्जन तीव्रता में 45% की कमी और 2070 तक नेट शून्य प्राप्त करने की दिशा में कदम उठाने के लिए अपने अद्यतन राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) के माध्यम से प्रतिबद्ध किया है।

इसका मतलब है कि भारत को कोयला, तेल और गैस जैसे जीवाश्म ईंधन की खपत को कम करना होगा। हालाँकि, हाल के अध्ययन से पता चलता है कि बिजली उत्पादन के लिए जीवाश्म ईंधन विशेष रूप से कोयले पर भारत की निर्भरता कम होने के बजाय बढ़ने की संभावना है।

नीति आयोग के वाइस चेयरमैन सुमन बेरी के अनुसार, कार्बन कैप्चर, यूटिलाइजेशन एंड स्टोरेज (सीसीएसयू) कोयले के हमारे समृद्ध भंडार का उपयोग करते हुए स्वच्छ उत्पादों के उत्पादन को सक्षम कर सकता है।

सीसीएसयू कैप्चर के संभावित लाभ

रिपोर्ट इंगित करती है कि सीसीएसयू कैप्चर किए गए कार्बन डाइ ऑक्साइड

को विभिन्न मूल्य वर्धित उत्पादों जैसे ग्रीन यूरिया, खाद्य और पेय फॉर्म एप्लिकेशन, निर्माण सामग्री (कंक्रीट और समुच्चय), रसायन (मेथनॉल और इथेनॉल), पॉलिमर ( बायो-प्लास्टिक सहित) में परिवर्तित किया जा सकता है ।

सीसीयूएस परियोजनाओं से महत्वपूर्ण रोजगार सृजन भी होगा। अनुमान है कि 2050 तक लगभग 750 मिलियन टन प्रति वर्ष कार्बन कैप्चर चरणबद्ध तरीके से पूर्णकालिक समतुल्य (FTE) आधार पर लगभग 8-10 मिलियन रोजगार के अवसर पैदा कर सकता है।

कार्बन कैप्चर स्टोरेज एंड यूटिलाइजेशन (सीसीएसयू)

  • इस प्रक्रिया के तहत जीवाश्म ईंधन के उपयोग से निकले कार्बन डाइऑक्साइड को वातावरण में छोड़े जाने से पहले उसे पकड़ कर एक सुरक्षित जगह में  भण्डारण किया जाता है जिससे  ग्लोबल वार्मिंग का खतरा कम हों सकता है ।
  • संग्रहित  की गई कार्बन-डाइऑक्साइड का उपयोग व्यावसायिक रूप से विपणन योग्य उत्पाद बनाने के लिए किया जा सकता है। इसे कार्बन कैप्चर स्टोरेज एंड यूटिलाइजेशन (सीसीएसयू) कहा जाता है।आम तौर पर इसका उपयोग तेल निष्कर्षण को बढ़ाने  में किया जाता है जहां कार्बन डाइऑक्साइड को तेल क्षेत्रों में उनकी निष्कर्षण दक्षता बढ़ाने के लिए इंजेक्ट किया जाता है।
  • पहली बड़े पैमाने पर सीसीएस परियोजना 1996 में नॉर्वे में स्लीपनर में  शुरू हुई थी ।

भारत सरकार की अन्य पहल

भारत सरकार कार्बन कैप्चर और उपयोग के क्षेत्र में अत्याधुनिक अनुसंधान और अनुप्रयोग-उन्मुख पहल के लिए दीर्घकालिक अनुसंधान, डिजाइन विकास, सहयोगी और क्षमता निर्माण केंद्रों के लिए दो राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र स्थापित कर रही है।

ये दो केंद्र हैं:

  • नेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन कार्बन कैप्चर एंड यूटिलाइजेशन (एनसीओई-सीसीयू) के नाम से भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी ) बॉम्बे, मुंबई में और
  • जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च (जेएनसीएएसआर), में नेशनल सेंटर इन कार्बन कैप्चर एंड यूटिलाइजेशन (एनसीसीसीयू), बेंगलुरु में स्थापित किए जा रहे हैं।


By admin: Nov. 15, 2022

6. भारत ने सीओपी 27, शर्म अल शेख, मिस्र में स्वीडन के साथ लीडआईटी शिखर सम्मेलन की मेजबानी की

Tags: Environment place in news Summits

India hosts LeadIT Summit

भारत और स्वीडन ने 15 नवंबर 2022 को लीडआईटी (उद्योग संक्रमण के लिए नेतृत्व) शिखर सम्मेलन की मेजबानी की। यह शिखर सम्मेलन,6-18 नवंबर 2022 तक मिस्र के शर्म अल शेख में चल रहे पार्टियों के सम्मेलन (सीओपी) 27 के अंतर्गत आयोजित किया गया था।  लीडआईटी  पहल ,औद्योगिक क्षेत्र के कम कार्बन संक्रमण पर केंद्रित है जो दुनिया में कार्बन उत्सर्जन का एक प्रमुख स्रोत है।

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री, भूपेंद्र यादव ने स्वीडन की जलवायु और पर्यावरण मंत्री सुश्री रोमिना पौरमोख्तरी के साथ शिखर सम्मेलन की सह-मेजबानी की।

उद्योग परिवर्तन के लिए नेतृत्व समूह (लीडआईटी)

उद्योग संक्रमण के लिए नेतृत्व समूह (लीडआईटी) को स्वीडन और भारत की सरकारों द्वारा सितंबर 2019 में न्यूयॉर्क शहर, संयुक्त राज्य अमेरिका में संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन में लॉन्च किया गया था।

यह उन देशों और कंपनियों को एक साथ लाता है जो कार्बन उत्सर्जन में कमी पर 2016 के पेरिस समझौते के उद्देश्य को हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

लीडआईटी सदस्य शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।


By admin: Nov. 9, 2022

7. उत्तर प्रदेश सरकार 2041 तक वृंदावन-मथुरा तीर्थस्थल को कार्बन न्यूट्रल बनाएगी

Tags: Environment State News

Vrindavan -Mathura pilgrimage center carbon neutral by 2041

उत्तर प्रदेश सरकार ने 2041 तक वृंदावन-मथुरा पर्यटक तीर्थस्थल को कार्बन न्यूट्रल बनाने की महत्वाकांक्षी योजना बनाई है। कार्बन न्यूट्रल स्थिति की योजना बनाने वाला यह भारत का पहला पर्यटन केंद्र है ।

सरकार को उम्मीद है कि मथुरा वृंदावन क्षेत्र में पर्यटकों का आगमन वर्तमान 2.3 करोड़ प्रति वर्ष से बढ़कर 2041 में लगभग 6 करोड़ हो जाएगा। लोगों के आगमन  में अपेक्षित वृद्धि और कार्बन फुटप्रिंट में वृद्धि से निपटने के लिए, सरकार ने 2041 तक इस क्षेत्र को कार्बन न्यूट्रल बनाने की योजना बनाई है।

सरकार की योजना

  • पूरे तीर्थ क्षेत्र को चार समूहों में विभाजित किया जाएगा, जिनमें से प्रत्येक में आठ प्रमुख स्थलों में से दो होंगे।
  • योजना में 'परिक्रमा पथ' नामक छोटे सर्किट बनाने का प्रस्ताव है, जहाँ तीर्थयात्री पैदल या इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग कर सकते हैं।
  • कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए सरकार का इरादा पूरे ब्रज क्षेत्र में निजी पर्यटक वाहनों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने का है।
  • चिन्हित क्षेत्र में सिर्फ इलेक्ट्रिक पब्लिक ट्रांसपोर्ट चलेंगे।
  • सभी 252 जल निकायों और 24 जंगलों को पुनर्जीवित किया जाएगा ताकि वे कार्बन सिंक के रूप में कार्य कर सकें

मथुरा-वृंदावन क्षेत्र और उसका महत्व

  • मथुरा और वृंदावन शहर भगवान कृष्ण के जन्म और बचपन से जुड़ा हुआ है।
  • दोनों शहर यमुना नदी के किनारे स्थित हैं।
  • मथुरा का उल्लेख रामायण में मिलता है और यह कुषाण राजा कनिष्क (130 ईस्वी) की राजधानियों में से एक थी।
  • यहाँ कुछ प्रसिद्ध मंदिर हैं: गोविंद देव मंदिर, रंगाजी मंदिर, द्वारिकाधीश मंदिर, बांके बिहारी मंदिर और इस्कॉन मंदिर।
  • गोकुल, बरसाना और गोवर्धन भगवान कृष्ण की कथा से जुड़ी अन्य टाउनशिप हैं।

कार्बन न्यूट्रल और नेट जीरो क्या है?

कार्बन न्यूट्रल का तात्पर्य वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड की उतनी  मात्रा को विभिन्न तरीकों से हटाने से है, जितनी मात्रामें कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन हों रहा है ताकि उत्पादन और हटाई गयी मात्रा कुल मिला कर  शून्य हो।

नेट ज़ीरो का अर्थ है ग्रीनहाउस गैसों (जैसे CO2, मीथेन, CFC आदि) की उतनी  मात्रा को विभिन्न तरीकों से हटाने से है, जितनी मात्रा में ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन हों रहा है ताकि उत्पादन और हटाई गयी मात्रा कुल मिला कर शून्य हो।

महत्वपूर्णजानकरी 

भारत ने 2070 तक शून्य शुद्ध उत्सर्जन वाला देश बनने का लक्ष्य रखा है।

जम्मू के सांबा जिले में पल्ली पंचायत भारत की पहली कार्बन न्यूट्रल पंचायत है।


By admin: Oct. 17, 2022

8. भारतीय उद्योग परिसंघ के अक्षय ऊर्जा सम्मेलन का तीसरा संस्करण नई दिल्ली में शुरू

Tags: Environment place in news Summits

भारत सरकार के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) के साथ साझेदारी में भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) का तीसरा ,अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन और प्रदर्शनी का 'हरित ऊर्जा में वैश्विक भागीदारी के लिए मार्ग: शक्ति आत्मनिर्भर भारत और विश्व' संस्करण , 17-19 अक्टूबर 2022 तक नई दिल्ली में किया जा रहा है ।

इस पहल का उद्देश्य वैश्विक साझेदारी को आगे बढ़ाना और हरित अर्थव्यवस्था को विकसित करने के लिए ठोस कदम उठाना और एक स्वच्छ और हरित दुनिया को शक्ति प्रदान करना है।

केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने सम्मेलन को संबोधित किया और कहा कि "भारत में अक्षय ऊर्जा उपकरणों के वैश्विक आपूर्तिकर्ता के रूप में विकसित होने की क्षमता है"। उन्होंने 2030 तक 500 गीगावाट अक्षय ऊर्जा उत्पादन हासिल करने की भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया।

पीएम मोदी ने 2070 तक कार्बन नेट-शून्य के लिए भारत की प्रतिबद्धता की घोषणा की है। साथ ही, भारत ने 2030 तक समग्र ऊर्जा मिश्रण में 50% नवीकरणीय ऊर्जा प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है।

जबकि आत्मानिर्भर भारत  घरेलू विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाने और शुद्ध-शून्य लक्ष्यों को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करता है, इसमें अक्षय ऊर्जा और हरित हाइड्रोजन पारिस्थितिकी तंत्र के लिए वैश्विक उपरिकेंद्र होने की भी अपार संभावनाएं हैं।

भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई)

यह भारत में शीर्ष व्यापारिक घरानों का एक व्यावसायिक लॉबी समूह है।

इसकी स्थापना 1895 में हुई थी।

यह भारत में उद्योग के विकास के लिए अनुकूल माहौल बनाने और बनाए रखने के लिए काम करता है और उद्योग और सरकार को समान रूप से सलाह और परामर्श प्रक्रियाओं के माध्यम से ,दोनों की साझेदारी को बढ़ावा देता  है।

मुख्यालय: नई दिल्ली

अध्यक्ष: संजीव बजाज

By admin: Oct. 12, 2022

9. भारतीय रेलवे ने 2025 तक जीवाश्म ईंधन बेड़े को इलेक्ट्रिक बेड़े से बदलने की योजना बनाई

Tags: National Economy/Finance Science and Technology

2030 तक भारत को 100% इलेक्ट्रिक वाहन राष्ट्र बनाने की केंद्र की महत्वाकांक्षी योजना को बढ़ावा देने के लिए, भारतीय रेलवे ने दिसंबर 2025 तक डीजल, जैव ईंधन या यहां तक कि प्राकृतिक गैस पर चलने वाले वाहनों के अपने पूरे बेड़े को इलेक्ट्रिक वाहनों से बदलने का प्रस्ताव किया  है।

भारत को वैश्विक बेंचमार्क से मेल खाने के लिए 2030 तक 46,000 ईवी चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने की आवश्यकता है। रेलवे द्वारा प्रस्तावित समय-सीमा के अनुसार, इसका लक्ष्य ईवी-चार्जिंग स्टेशनों को स्थापित करने और दिसंबर 2023 तक अपने बेड़े के 20%, 2024 तक 60% और 2025 तक 100% को चरणबद्ध रूप से प्राप्त करने का लक्ष्य है।

संभागीय कार्यालयों और संलग्न इकाइयों में निरीक्षण वाहनों का प्रतिस्थापन तीन साल के प्रारंभिक चरण में अनिवार्य नहीं होगा क्योंकि अधिकारियों को दूर-दराज के क्षेत्रों में लगातार दौरे के लिए वाहनों की आवश्यकता होगी जहां पर्याप्त चार्जिंग बुनियादी ढांचा उपलब्ध नहीं हो सकता है।

By admin: Oct. 1, 2022

10. एयरटेल भारत में 5जी सेवाएं शुरू करने वाली पहली दूरसंचार कंपनी बनी

Tags: National Economy/Finance

भारती एयरटेल के चेयरमैन सुनील भारती मित्तल ने 1 अक्टूबर को दिल्ली, मुंबई, वाराणसी, बैंगलोर, चेन्नई, हैदराबाद और सिलीगुड़ी सहित 8 शहरों में 5जी मोबाइल सेवा शुरू करने की घोषणा की है। उन्होंने 1-4 अक्टूबर 2022 तक नई दिल्ली में आयोजित होने वाली छठी भारतीय मोबाइल कांग्रेस के दौरान 1 अक्टूबर 2022 से 5 जी सेवा शुरू करने की घोषणा की।एयरटेल भारत में 5जी सेवा शुरू करने वाली पहली दूरसंचार कंपनी बन गई है। एयरटेलमार्च 2024 तक पूरे भारत में  5जी सेवा शुरू करने का इरादा रखता है।

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 अक्टूबर को मोबाइल कांग्रेस का उद्घाटन किया और मोबाइल कांग्रेस का विषय है: ``न्यू डिजिटल यूनिवर्स '।

मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाली जियो टेलीकॉम  ने घोषणा की है कि वह इस सालदिवाली  तक चार महानगरों दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई में अपनी सेवाएं शुरू कर देगा और दिसंबर 2023 तक पूरे देश को कवर कर लिया जाएगा।

जियो 5जीदुनिया का सबसे बड़ा और सबसे उन्नत 5जी नेटवर्क होगा। अन्य ऑपरेटरों के विपरीत, जियोका 5जी नेटवर्क 4जी नेटवर्क पर शून्य निर्भरता के साथ होगा।

वोडाफोन आइडिया  ने अभी तक अपने 5जी रोल आउट प्लान का खुलासा नहीं किया है।


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